प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Nov 6, 2021, 22:39 IST
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द्वापर में कान्हा थे जन्में, गोकुल ब्रज के थे प्यारे।
इंद्र के’ बदले गोवर्धन की, पूजा हेतु मनाते हैं।
कुपित इंद्र की आज्ञा पाकर, मेघों नेअति वृष्टि करी,
गिरि उंगली पर धारण करके, वह राहत पहुंचाते हैं।
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भाई-भगिनी के नाते की, कहीं नहीं कोई तुलना।
सदा रहे अक्षुण यह रिश्ता, माथे तिलक लगाते हैं।
नेह बड़ा था यम-यमुना में, दीर्घ आयु का वर पाया।
बहनों की रक्षा करने को, भाई शपथ उठाते हैं।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव उत्तर प्रदेश