कविता - स्वर्णलता

 

धन तेरस का दिन है आया।

मन में ढेरों खुशियाँ लाया।।

लक्ष्मी देवी चरण पधारे।

खुशियों के बज उठे नगाड़े।।

धनकुबेर प्रभु दिवस मनाओ।

हाथ जोड़ कर शीश नवाओ।।

विष्णु रूप का है अवतारा।

पूजे सकल जहान ये सारा।

आओ आपण सब मिल जाएं।

धन तेरस त्यौहार मनाएँ।।

नए नए सब गहनें लाएँ।

बर्तन और मिठाई भाए।।

घर को अपने खूब सजाओ।

द्वारे वन्दनवार लगाओ।।

आएँ लक्ष्मी और गणेशा।

सरस्वती का हो परवेशा।।

दीवाली की है तैयारी।

जगमग जगमग दीपों वाली ।

उत्सव का है आज महौल।

बोलें सब ही मीठे बोल।।

- स्वर्णलता सोन,  दिल्ली