ग़ज़ल = झरना माथुर 

 

जब से उनको देख लिया है दिल उनका ही काइल है,
ऐ मन मुझको बतलाना तुम दिल क्या उनके काबिल है। 

आ भी जाओ हमदम मेरे याद किया तुझको दिल ने,
दरिया हूँ मैं तेरी उल्फ़त की तू मेरा साहिल है। 

तुमको अपना मान लिया जो कैसा तुमसे शरमाना,
इतना मुझको बतला देना प्यार तेरे क्या काबिल है। 

तेरे दिल मे मैं बस जाऊँ दिल ने ऐसा ठान लिया,
प्यार तुम्हारा भाता मुझको बाकी दुनिया बातिल है। 

तेरे मेरे उल्फ़त की बस झरना यूँ बहती जाये,
प्यार किया दिल से मैंने प्यार नहीं मेरा फाजिल है। 
= झरना माथुर, देहरादून