ग़ज़ल = प्रिया श्रीवास्तव
May 19, 2021, 23:15 IST
इश्क सच में बड़ा झमेला है,
साथ रहकर भी तू अकेला है।
सहरा है तो कभी ये है दरिया,
दर्द सबने यही तो झेला है।
वक्त पड़ता है तो अकेले हैं,
वरना लोगों का लगता मेला है।
सब ही बन जाते हैं गुरु अब तो,
बनता कोई यहां न चेला है।
सीख 'दिव्यम' वही तो देता है,
दर्द को इसके जिसने झेला है।
= प्रिया श्रीवास्तव 'दिव्यम' उरई उत्तर प्रदेश