ग़ज़ल - डा० नीलिमा मिश्रा

 

उतर आए धरा पे देवता मंदिर बनाने को।

बड़े सुंदर सुहाने पुष्प लाए हैं चढ़ाने को ।।

सियावर राम के सेनापति हनुमान जी आकर।

जपें प्रभु राम जी का नाम रघुवर को रिझाने को।।

सुनाए जा रहे विरुदावली श्री राम की  साधू

खड़े हैं वाल्मीकि स्वयं रामायण सुनाने को ।।

अवध जैसा नहीं वैभव नहीं पावन धरा कोई।

सभी तीरथ चले आए यहाँ सरयू नहाने को ।।

कई सालों रहे प्रभु राम जी तम्बू कनातों में

सहे ऋतुओं की तगड़ी मार ना छोड़ें ठिकाने को ।।

हमारी पीढ़ियाँ साक्षी बनेंगी राम मंदिर की

बदलने जा रहे इतिहास के पन्ने पुराने को ।।

लगाओ नीलिमा जयकार जय श्री राम सब बोलें

चलें हम सब अयोध्या भक्ति की गंगा बहाने को ।।

- डा० नीलिमा मिश्रा, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)