दोहे (माँग रही वरदान) - मधु शुक्ला
Nov 8, 2021, 22:22 IST
देवा गणपति आप सा, कोई नहीं सुजान।
माँगे जो हर ब्याहता, माँग रही वरदान।।
माँ गौरी सुनिए विनय, आई दासी द्वार ।
माँग रही वरदान खुश, रहे पिया, परिवार।।
करवा देवी आपसे, माँग रही वरदान।
दमके टीका लालिमा, घटे न इसकी शान ।।
माँग रही वरदान शशि, रखना अमर सुहाग।
दिन प्रतिदिन बढ़ता रहे, प्रियतम का अनुराग।।
चाँद चाँदनी जिस तरह, थामे रहते हाथ।
माँग रही वरदान प्रभु , आजीवन पिय साथ।।
- मधु शुक्ला . सतना , मध्यप्रदेश