भंवरे = प्रीति पारीक
May 20, 2021, 23:37 IST
आज भंवरे की खनक यूँ ,
मुस्कुरा कर रह गई,
चंद लम्हों की खुशी में,
यूँ सिमट कर रह गई।
आज भंवरे की खनक यूँ,
चंद मोती थे सुलगते,
राह कांटों थी भरी,
उस पे ये बेचैन राते,
और भी तंग हो गई,
आज भंवरे की खनक यूँ.
साहिलों के भी कदम यूँ,
कुछ सहम से रह गए,
और फूलों की महक यूँ,
छन से बिखर गई,
एक नदी की आस में हम,
और कुछ यूं चल दिए,
कुछ बिछड़ते अपनेपन की,
दिल ही दिल में रह गई।
= प्रीति पारीक ,जयपुर (राजस्थान)