बाप्पा - जया भरदे बड़ोदकर 

 

आज मेरे दिल में,

बाप्पा पधारे है।

देखो चारों ओर,

चमकते सितारे है।

लोगो के लिए वो,

बहुत-बहुत प्यारे है।

मिलजुल के सब,

जहाँ रहते सारे है।

होती रौनक दस दिन,

सब दिल से जुड़ जाते हैं।

हर एक जन अपने मन जैसा,

प्रसाद खिलाता है।

कोई-कोई तो सेवा,

तन-मन से करता है।

बाप्पा भी फिर खूब,

आशीर्वाद देता है।

नये-नये आयामों को,

वो स्थापित करता है।

रोज-रोज संगीत भजनों,

का दौर चलता है।

वातावरण फूल और,

सुगंध से महकता है।

बाप्पा मे हर रोज,

मुझे नया रंग रुप दिखता है।

चारो तरफ चहल-पहल,

और  खुशिया मनाते हैं।

सदभावना प्रेम का प्रतीक,

बाप्पा संदेश दे जाते है।

दिल में बसके सब लोगो को,

फिर से आने का वादा कर जाते हैं।

प्यारे बाप्पा का अगले साल,

आगमन का फिर से,

बेसब्री से इंतजार करते है।

गण पति बाप्पा मोरिया।

- जया भराडे बडोदकर,

कमोथे , नवी मुंबई (महाराष्ट्र)