मेरी कलम से - यशोदा नैलवाल
Jul 22, 2024, 23:34 IST
हर परिंदा देर तक उड़ता नहीं है.
चुक गया जो वक्त, फिर मुड़ता नहीं है।
टूट जाता है अगर कुछ भी कभी तो,
फिर दुबारा उस तरह जुड़ता नहीं है।.
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बांधते दिल, कि दिल के दरीचे नयन.
जीतना जग कहां से हैं सीखे नयन।
शंख या कि कमल, तीर - तलवार से,
क्या बताएं कि किसके सरीखे नयन।
- यशोदा नैलवाल, दिल्ली