जब तुम हमें मिले - सुनील गुप्ता

 

जब से

तुम हमें मिले तो,

ये जीवन सारा बदल गया  !

गई पथिक की प्यास बुझ .....,

और तन-मन जीवन निखर गया  !! 1 !!

जब से

तुमसे लौ लगी तो,

ये जीवन महक-चहक गया  !

गई बगिया मन की खिल-खिल .....,

और चहुँओर आनंद भर गया !! 2 !!

जब से

तुम आए जीवन में,

प्रेम बहारें खिलखिला आईं  !

गई जीवन की चाल बदल ......,

और प्रेम बरखा बरस आईं !! 3 !!

 जबसे

तुम मिले हो प्रिय ,

ये जीवन चला यहाँ मुस्कुराए  !

गई गम-दुःख की शामें ढल .....,

और प्रेमानंद चला हर्षाए सरसाए !! 4 !!

 अब

तुम हम में समाए चले,

खोए हुए एक दूजे में डूबे  !

भले हों हम यहाँ पे दो शरीर .....,

पर, बनें एक शुद्धात्मा यहाँ मिल के !! 5 !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान