मौसम - ज्योत्सना जोशी

 

ये बारिशों का मौसम फिर आयेगा,

शीशे पर सरकती हुई बूंदों से मैंने पूछा,

वो मेरे हिस्से का हरापन मुझे दे जायेगा।

जाते हुए सावन से मैंने पूछा,

गीले बिखरे लफ्ज़ की मानिंद वो,

मुझमें अपने होने को जताता है,

वो कहता नहीं है लेकिन सुनाई देता है,

वो जाता नहीं है लेकिन बिछड़ जाता है।

- ज्योत्सना जोशी #ज्योत, देहरादून