उषा - डा० क्षमा कौशिक

 

उषा हूं मैं.......

हे रश्मि रथी!

तुम से पहले आती हूं

मग में तेरे हे अंशुमाली!

नव रक्त कमल भरती हूं

रक्तिम चंदन घोल तिलक

माथे पर कर देती हूं

हो प्रशस्त पथ रवि तुम्हारा

किरणों से कहती हूं

विजय गीत गाने को

नन्हीं चिड़ियों से कहती हूं

नभ में फैले अंधकार को

कुछ कम कर देती हूं

उषा हूं मैं.......

- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड