बेमौसम की बेदर्दी बरसात - हरी राम यादव
Mar 10, 2024, 22:57 IST
बेमौसम की बेदर्दी बरसात ने,
किसान को दिए करारे घाव।
सारी फसलें चौपट हो गयीं,
बचा न तन मन में उसके ताब।
बचा न तन मन में उसके ताब,
दाब इसका कैसे सहेगा बेचारा।
कैसे चलेगी उसकी रोजी रोटी,
कौन बनेगा उसका सहारा।
बेरहम प्रकृति भी लेती सदा,
गरीब किसान की कठिन परीक्षा।
एक समस्या से उबर न पाता,
दूजी आ जाती लेकर गलत इच्छा ।
- हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश