श्रद्धांजलि - जसवीर सिंह हलधर
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसूं लायी थी।
याद आपकी जनगण मन में शोक गीत बन आयी थी।
युगों युगों तक छाप दिखेगी भारत भू के कण कण में ।
छवि आपकी याद रहेगी गांव नगर के प्रांगण में ।
हृदय घात कलयुग का दानव इतना तो एहसास हुआ ।
मृत्यु सूचना मिलने पर भी तनिक नहीं विस्वास हुआ ।
खुशियों का मौका था लेकिन गम से भरी विदायी थी ।।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी थी ।।1
काल चक्र है सत्य सनातन सबको एक दिन जाना है ।
लेकिन समय पूर्व उठ जाना हम सब पर जुर्माना है ।
अटल विहारी की अनुजा दुर्गा अवतार सरीखी थी ।
भाषा सोम्य सरल लेकिन लक्ष्मी तलवार सरीखी थी ।
काश्मीर का तोहफा लेकर श्यामा के घर धायी थी ।।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी थी ।।2
भाषण में संबोधन सबको ग्रंथ सरीखा लगता था ।
भाषा रूपी ज्ञान सभी को मंत्र सरीखा लगता था ।
दीन हीन की पीड़ा को वो अच्छी तरह समझती थी ।
हिन्दू मुस्लिम के आंगन में वो सम भाव बरसती थी ।
रो रो कर बेहोश लेखिनी अधिक नहीं लिख पायी थी ।।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी थी ।।3
शब्द शब्द को जोड़े जैसे फूल पिरोएं धागों में ।
वाणी में अमृत था उसके भाव लिप्त थे भागों में ।।
आदर्शों की शिखर मालकिन लोहा भारत मानेगा ।
कथनी औ करनी सुषमा की बच्चा बच्चा जानेगा ।
अक्षर शोकाकुल "हलधर" के पंक्ति पंक्ति घबरायी थी ।
मौत अचानक सुषमा जी की दृग में आँसू लायी थी ।।4
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून