नन्हें बच्चे - सुनील गुप्ता

 

 ( 1 ) चलो

बन जाएं हम,

फिर से, एक बार नन्हें बच्चे  !

खेलें खेल, मिलके पुराने यहाँ पे...,

और करलें याद, वो दिन सभी सुनहरे !!

( 2 ) खिलें

फूलों की तरह,

अपनी मन बगिया में फिरसे  !

चलें उड़ते, बन तितली यहाँ पे....,

और खेलें, आँखमिचोली हँसते गाते !!

( 3 ) मिलें

सभी से खिलखिलाते,

प्रेम आनंद की बातें करते  !

फिर, कोई राग-अलाप छेड़दें.....,

और चलें खो जाएं, अपनी दुनिया में !!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान