'शिक्षक' (हाइकु) - बी एस बिष्ट

 

'१'

गुरु किसान,

मरु धरा में बोये-

अक्षर ज्ञान।

'२'

गुरु कुम्हार,

तराशता मिट्टी से-

संभावनाएं।

'३'

एक जौहरी,

बेकार पत्थरों को,

हीरे कर दे।

'४'

शिल्पी शिक्षक,

छैनी हथौड़ा लिये,

गढ़े मूरत।

'५'

जुगनुओं में,

सूरज तलाशता,

रात्रि प्रहरी।

'६'

गुरु दीपक,

आलोकित कर दे-

जीवन पथ।

'७'

प्रथम गुरु-

तो तुम ही हो माता।

भाग्य विधाता। 

बहादुर सिंह बिष्ट 'दीपक', चम्पावत, उत्तराखंड