इक समंदर है - सुनील गुप्ता
Jul 30, 2024, 23:56 IST
( 1 ) इक समंदर है
जो बहता चले सदा,
इन आँखों में मेरे अनवरत !
और मन अंतस की गहराई में....,
चले बहता वेदना का एक निर्झर सतत!!
( 2 ) इक तस्वीर है
जो मन मस्तिष्क में,
सदैव छायी रहती है मेरे !
और एक पल भी दूर न हो मुझसे.....,
चले कराए वेदना का अहसास यहाँ पे !!
( 3 ) इक तहरीर है
जिसे भूलाए न भूलें,
रहें स्मृतियों में जीवित सदा !
और ये यादें ले जाएं उन्हीं मोड़ पे हमें...,
जिस मोड़ पर कभी हम हुए थे ज़ुदा !!
( 4 ) एक तक़रीर है
जो छुए दिल को,
चले कम करती वेदनाओं को !
और इन्हें सुनते गुनते उतारते जीवन में...,
चलें गम गलत करते, भूलाते दुःखों को !!
( 5 ) एक क़लंदर है
जो चले मस्ती में,
यहाँ से वहाँ घूमे फिरे !
और बन फ़क्कड़ अपनी फ़क़ीरी में...,
चले सीखलाए ज़िन्दगी, कैसे जीनी है !!
- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान