सुधीर और मानवता - कुलदीप सिंह रोहिला
vivaratidarpan.com (सहारनपुर) - आज के इस कलयुगी युग में किसी से मानवता की बात करना थोड़ा बेमानी सा भी लगता हैं। कहीं कोई किसी की मदद करता है, तो कई बार सोचने पर मजबूर भी करता है । मैं आज बात कर रहा हूं हमारे साहित्य जगत के एक वरिष्ठ कवि लेखक और हम सबके प्यारे, राजदुलारे, अपने अग्रज आदरणीय श्री सुधीर श्रीवास्तव की, जो एक बेहतरीन लेखक और रचनाकार तो हैं, जो की हर व्यक्ति को अपना मानते हैं, उनकी प्रतिभा किसी से छुपी नहीं है। बात करता हूं उनके कार्य की वो बहुत ही सुंदर व्यक्तित्व की उनकी में क्या तारीफ करूं, उन्होंने कई बार अनजान लोगों की मदद की और हमेशा सबकी मदद के लिए अग्रणी रहते है साहित्य की बात हो या व्यक्तिगत हो ।
दोस्तों! सबसे बड़ी सेवा ये क्या होती हैं कि उन्होंने अपना देह का दान भी करने की सार्वजनिक घोषणा भी कर दिया। उनके संसार से जाने के बाद भी उनकी आंखो से उनके शरीर से कोई भी किसी को लाभ मिले, यही सोचकर उन्होंने ये कदम उठाया है। क्या कोई जिंदा रहते भी इस तरह का महान काम कर सकता हैं कोई जिंदा दिल आदमी हो सकता है।
दोस्तों! मानवता का सच्चा कार्य मेरे परम गुरुजी ही कर सकते है। हमको भी अपने अंदर इस तरह का हौसला हमेशा बनाकर रखना चाहिए तब ही हम जाकर कामयाबी की उड़ान हासिल कर सकते है दोस्तों! ये तो सिर्फ एक उदाहरण हैं आपको और भी इनके जैसे लोग संसार में मिल जायेगे मगर ये एक सच्ची बात है जो आप सबके सामने में अपने इस लेख के जरिए रखा है । - कुलदीप सिंह रोहिला, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश