गीत - मधु शुक्ला
Aug 27, 2024, 22:56 IST
मथुरा में जन्मे कृष्ण मगर, गोकुल कीं गलियाँ अपनाये।
यशुदा की गोदी में खेले, गोपी, ग्वालों के मन भाये।
अवतारी बनकर कान्हा जी , भक्तों में रहने आये थे।
निर्मलता की संगत पाकर, हर्षित हो रास रचाये थे।
मुरली द्वारा मुरलीधर ने, शुचिता के मोती बिखराये... ।
जब ज्यादा कपट बढ़ा जग में, संबधों ने दुख पहुँचाया।
संतो की आहों ने जाकर , लक्ष्मी पति का मन पिघलाया।
नर तन धर आये जगदीश्वर, संताप हरे, सुख पहुँचाये...।
पाकर सानिध्य कृष्ण का तब, द्वापर की बदली थी काया।
हालत सुधरे कलयुग की भी, गिरधर दिखलायें यदि माया।
दुर्योधन, शकुनी मिट जायें, तो सतयुग वापस आ जाये.... ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश