गीत - मधु शुक्ला
Jul 15, 2024, 23:23 IST
गाँव खेत की बात करें सब, झांकें नहीं हकीकत में,
सच्चाई से रहें अपरिचित, पर हैं व्यस्त नसीहत में।
कठिन परिश्रम, सुविधाएं कम, मौसम से लड़ना पड़ता,
वाद विवादों के कारण से, खर्च बना हरदम रहता।
स्वार्थ, द्वेष से आहत रिश्ते, फँस जाते हैं आफत में...... ।
गुण, अवगुण की छाया सब पर, बचा नहीं कोई इससे,
गाँव, शहर सब जगह नशा है, कौन करे शिकवा किससे।
रोगों की लम्बी सूची घुन, बनकर लगती दौलत में..... ।
जहाँ रहें हम सजग रहें तो, जीवन उन्नत होता है,
श्रम का फल अच्छा ही मिलता,मनुज नहीं कुछ खोता है।
सद्कर्मो में व्यस्त रहें हम, खोट न लायें नीयत में..... ।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश