मुस्कुराइए - सुनील गुप्ता

 

(1)"मु ", मुस्कुराइए आप ख़ूब खिलखिलाइए

             कि, ज़िन्दगी ने बख्शा एक और दिन !

             आज के जीवन को जीए चलें भरपूर......,

             और जानें, कल ना आएगा फिर ये दिन  !!

(2)"स् ", स्वयं को मानिए बड़ा ही सौभाग्यवान

             कि, ईश्वर ने जताया हम पर है विश्वास  !

             चलें बिखेरते औरों के जीवन में खुशियाँ.....,

             और जीवन के प्रति जीने की उमंग आस  !!

(3)"कु ", कुछ कर जाएं काम ऐसा यहां पर

              कि, खिल-खिल आए औरों की ज़िन्दगी  !

              बाँटते चलें औरों का दुःख दर्द गम.......,

              ताकि, मुस्कुराए चले फिरसे ये ज़िन्दगी  !!

(4)"रा ", राह सफर में जो भी मिले पथिक

             संग साथ उसके चलें मुस्कुराए  !

             जोश उमंग बढ़ाए चलें उत्साह......,

             और तलाशते चलें जीवन की संभावनाएं  !!

(5)"इ ", इबादत प्रार्थना बंदगी करते चलें

             और प्रभु का गाएं चलें हमेशा गुणगान  !

             ईश्वर ने अता की है हमें जो ज़िन्दगी......,

             सदा उसके प्रति बने रहें आशावान !!

(6)"ए ", एतबार करते चलें सदा स्वयं पर

             और जीवन के प्रति बने रहें उत्साहित  !

             मुस्कुराए चलते रहें हमेशा यहां पर.....,

            और बनाए चलें जीवन को उमंगित हर्षित !!

(7)"मुस्कुराइए ", मुस्कुराइए ज़िन्दगी मिली है एकबार

        सदा जीवन को प्रसन्न खुशहाल बनाएं  !

        करते चलें सतत ईश्वर का शुक्रगुजार.......,

       और हर हाल में जीवन को ख़ुशगवार बनाएं  !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान