रेशम की डोर - मधु शुक्ला
Aug 20, 2024, 22:38 IST
सभी भ्रात बहनों को होती, प्रिय रेशम की डोर,
संबंधों की पावनता का, यह सशक्त है छोर।
रहे कहीं भी बहन न भूले, राखी का त्यौहार,
कच्चे धागों पर करता है, भाई प्राण निसार।
शुचि भावों का सागर बनकर, जीता यह संबंध,
मौन समर्पण त्याग क्षमा की, फैलाता है गंध।
बंधन अटूट सहोदरों का ,कहता यह संसार,
और कहीं हम प्राप्त न करते, ऐसा निश्छल प्यार।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश