मौन अभिव्यक्ति - सुनीता मिश्रा

 

तुम क्यों नहीं समझते ?

इसे मैं जब लिखूंगी ...

तभी तुम जानोगे ?

मैं तुम्हें देखूं ...

तब तुम समझोगे ?

जब तुमसे कुछ कहूं ...

तब मानोगे ?

मैं ऐसी मुखर नहीं ...

जो तुम तक पहुंचा सकूं ..

अपनी मौन अभिव्यक्ति ....

तुम्हारे अंदर..

शोर नहीं मचा सकती...

अपनी भावनाओं को...

मैं व्यक्त नहीं कर सकती...

तुममेे कोई हलचल ही नहीं होती ..

क्या फायदा !

ऐसी अभिव्यक्ति को व्यक्त करके...

जो तुम समझ नहीं पाओगे ...

और मैं ...

समझा नहीं पाऊंगी ...

जाने दो ...

मेरी मौन अभिव्यक्ति को ...

यूं ही विराने में पड़े रहने दो...

खुद को समझा कर ...

दरकिनार कर लूंगी तुमसे ...

पर जब तलक तुम मेरी ...

मौन अभिव्यक्ति समझ नही पाते ...

तुमसे कुछ ना कहूंगी..

जाने दो.....

- .️सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर, झारखण्ड