सौगात  - सुनील गुप्ता

 

(1)" सौ ", सौभाग्य हमारा

        कि, मिली है जीवन की सौगात,

        करते चलें यहाँ इसका सदुपयोग  !

        और कभी ना करें व्यर्थ अमूल्य जीवन.,

        सदा करते रहें श्रीप्रभु स्मरण सभी लोग !!

(2)" गा ", गार्हस्थ्य जीवन

        निभाए चलें पुनीत यज्ञ की तरह,

        सदा पूर्ण करें अपने सभी धर्म कर्तव्य  !

        और चलें प्रभु को कृतज्ञता ज्ञापित करते,

        कि दी उसने जीवन सौगात दिव्य भव्य!!

(3)" त ", तबस्सुम बिखेरें

       और चलें बाँटते अनुपम सौगातें,

       भेंट दें स्वयं की बनायी कोई वस्तु सुंदर !

       खिल उठेंगी प्रिय स्वजनों की मुस्कुराहटें.,

       और फिर बनते चलेंगे संबंध ख़ूब मधुर!!

(4)" सौगात ", सौगात उपहार

        नज़राना भेंट देते चलें सदैव,

        बनाए चलें जीवन को ख़ुश व प्रसन्न  !

        दुर्लभ मानुष जीवन पाया प्रारब्ध कर्मों से.,

        नित्य श्रीप्रभु चरणों में बैठ करें सुमिरन !!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान