राखी - रीता गुलाटी

 

बड़ा पावन ये आया है अजी त्यौहार है राखी।

कलाई मे सजी भाई बहन का प्यार है राखी।

सजा ले आज सावन में सभी बहनें भी थाली को।

चला आया मेरा भाई लिये उपहार है राखी।

लुटाता प्यार है भाई करे रक्षा वो बहना की।

बड़ा पावन इसे समझे लगे अधिकार है राखी।

नही कीमत है धागे की,बड़ा नाजुक इसे माने।

ये धागा प्यार का समझो न समझो भार है राखी।

उदासी मे रहे बहना,नही आता अगर भाई।

निहारे पथ लगे उसको कवच की धार है राखी।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़