मावस के मुस्काते आंगन में - राजू उपाध्याय

 

मावस के

मुस्काते आंगन में,

अबके तुम

जलता दीया

संभाले रखना..!

खिलखिलाती

रौशन किरनों पर,

तुम अपने हाथों

की छांव बनाए

रखना..!

हिल डुल

कर बुझ न पाएं

कोई लौ दीये की

आंधियों के 

वेग से,,

बद-मिजाज

हवाओं के रुख

पर तुम,

थोड़ी सी नजर

जमाए रखना..!

- राजू उपाध्याय, एटा , उत्तर प्रदेश