भादो के रानी - अशोक कुमार
Oct 1, 2023, 23:37 IST
मैंय हौंव अटल कुँवारी रे, भादो के रानी।
सुनावत हौंव अपन जिनगी के कहनी।।
कुकुर मन लुटूर-लुटूर पुछी ला डोलावत हें।
पसर-पसर भर उँखर लार हा चूचवावत हे।।
मोर सुघरई ला देख के सब के मन मोहागे।
मोला सूँघियावत चार-पाँच झन मन आगे।।
मोर गोठ सून, अपन-अपन ले कहिथें मोला।
मैंय हा मया करथौंव कुतिया जादा तोला।।
कोनों हें करिया, सादा, लाली अउ चितकबरा।
गुर्रा-गुर्रा के भूँकत हें, गली-खोर मा जबरा।।
मोला पाए बर एक-दूसर के माते हे लरई।
चाब-चाब के भगवावत हें, माते हे करलई।।
अपन इजत कइसे बचाँव, फदिहत होगे जादा।
आवत-जावत जम्मों झन देखत हें तमासा।।
नारी हा खुलेआम होवत हे हवस के सिकार।
चबनहा कुकुर मन ला सजा देतिच सरकार।।
- अशोक कुमार यादव, मुंगेली, छत्तीसगढ़