समस्या - जया भराड़े बड़ोदकर

 

समस्या जीवन में भरी पड़ी है

कभी कभी आंधी से,

तूफानों बवंडर से,

जूझ कर भी बिखर जाते है सभी।

संभल ना तो कोई

विरले ही सिख पाते है। .

जो समझे जिम्मेदारी से,

करे निर्वाह ईमानदारी से,

धोखे खाकर भी,

बच के निकले जो चतुराई से,

हर एक समस्या को

समझे सबक गहराई से।

पल पल ढूंढे बहाने

जीवन में

खुशियों के और

सुकूंन सफल बनाने के,

धरती माँ से सीखे हम सब,

सब कुछ सहन करके भी

देती हैं फूल, फल।

माफ कर के देती है,

बच्चों को ममता के आँचल में

छुपा लेती है,

सब कुछ जान के।

जया भरादे बड़ोंदकर,

नवी मुंबई महाराष्ट्र