मेरे आदर्श शिक्षक - सुनील गुप्ता

 

 ( 1 )" प्रथम "

मेरी आदर्श शिक्षक माता ,

जिनसे पाया है ये जीवन सुंदर  !

और खेलते-कूदते माँ की गोदी में......,

सतत सीखते बढ़ते चले गए जीवन भर  !!

( 2 )" द्वितीय "

मेरी आदर्श शिक्षक धरती माता ,

जिनपे पल-पोसकर हम बढ़े हुए  !

और चले पाते सब कुछ यहाँ पे जिंदगी भर.,

सदा देखा वसुधा माँ को खिलखिलाते हुए!!

( 3 ) " तृतीय "

मेरे आदर्श शिक्षक पिता ,

जिनकी अँगुली पकड़ कर हम चले !

और कभी न होने दिया जिन्होंने निराश-हताश..,

सदा हँसते लेकर मंज़िल की ओर बढ़े !!

( 4 )" चतुर्थ "

मेरे आदर्श शिक्षक गुरूवर ,

जिनसे लिखना पढ़ना सीखा जाना  !

सदैव बनें रहे वो हमारे सच्चे पथ प्रदर्शक..,

उनकी बदौलत हमने स्वयं को पहचाना!!

( 5 )" पंचम "

मेरे आदर्श रहे आध्यात्मिक गुरू ,

जिनसे अमूल्य तत्त्व ज्ञान का भेद पाया  !

फिर वे ले चले हमें अनंत महाज्ञान सागर में..,

जहाँ से कुछ ज्ञानामृत मोतियों को चुन पाया!!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान