मुक्तक (नेपाली) - दुर्गा किरण तिवारी
Nov 22, 2023, 22:56 IST
विकृति देखेर बोल्यो कि ! चित्त दुखाउछन् यस्तै छ,
लेखेर व्यङ्ग्यले टोल्यो कि! चित्त दुखाउछन् यस्तै छ,
असत्य र झुटो पचाउन सकिएन, प्रभु देख्दै हिन हुने,
शब्दले कान खोल्यो कि! चित्त दुखाउछन् यस्तै छ ।
यस्तै छ के गर्नु ?
मुक्ति (हिंदी) -
विकृती देखकर बोला क्या! इस तरह वे आपको चोट पहुंचाते हैं।
शायद व्यंग्य ने लिख कर सह लिया हो ! इस तरह वे आपको चोट पहुंचाते हैं।
झूठ और झूठ हज़म नहीं हुआ, भगवान नहीं देखेगा।
क्या शब्द ने कान खोल दिए! इस तरह वे चोट पहुंचाते हैं।
ऐसा है क्या करे?
- दुर्गा किरण तिवारी, पोखरा,काठमांडू , नेपाल