मेरी कलम से - मीनू कौशिक
Jun 11, 2023, 22:33 IST
गिरकर उठना टूटके जुड़ना , नई इबारत लिखना ।
पग-पग नई चुनौती माना , कभी ना हारे दिखना ।
कांटे ठोकर विषम डगर , सब तुझको शीश झुकाएँ,
टूटन बिखरन दर्द संजोकर , जीवन का रस चखना ।
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दिखा , हैं रंग कितने , जिंदगी , तेरे पिटारे में ।
लगे हैं , ग्रहण कितने ,और ,किस्मत के सितारे में ।
चुनौती है , न हारी हूँ , न हारूँगी कभी डरकर ,
लगा तू , जोर हैं जितने, समय के तेज धारे में ।
- मीनू कौशिक 'तेजस्विनी', दिल्ली