महाराणा प्रताप - सुनील गुप्ता
(1)"म ", महानता के सभी शिखरों से ऊपर
रही जिनकी एक अमिट पहचान !
ऐसे थे वीर महाराणा प्रताप......,
जिनको जानता है पूरा हिंदुस्तान !!
(2)"हा ", हार नहीं कभी स्वीकार करी
और किया सदा दासता पे वार !
अपनी शक्ति बुद्धि के बल पर......,
चले बचाते मेवाड़ राज को हर बार !!
(3)"रा ", राणा सांगा के थे पौत्र महाराणा
पिता उदयसिंह जयवंत कंवर की संतान !
सिसोदिया राजवंश के थे वो वंशज......,
था कुम्भलगढ़ किला जिनका जन्मस्थान !!
(4)"णा ", नाम कर गए इतिहास में अमर
प्रताप नाम से हुए जग में प्रसिद्ध !
श्रीएकलिंग महादेवजी के अनन्य भक्त......,
चेतक ने भी नहीं होने दिया पराजित !!
(5)"प्र ", प्रणाम नमन करते शत-शत वंदन
मेवाड़ के महाराणा प्रताप की जय !
विशाल मुग़ल साम्राज्य के आगे......,
कभी नतमस्तक नहीं हुए प्रताप विजय !!
(6)"ता ", ताकिद रहे मुग़ल साम्राज्य को
कि भारत का था वो शेर वीर बहादुर !
जिसके डर से कांपता था मुग़ल साम्राज्य..,
था वो मेवाड़ का महान महाराणा शूरवीर !!
(7)"प ", पराजित नहीं कर पाए जब महाराणा को
तो अकबर ने गहरी एक चाल चली !
महाराणा के भाई के संग कर दोस्ती...,
फिर मेवाड़ पर पूरी ताकत संग चढाई करी !!
(8)"महाराणा प्रताप " ने कभी झुकाया ना सिर
और पकड़े जा ना सके वो यहां पे जिंदा !
इस बात से रहे भयभीत मुग़ल हमेशा....,
और अकबर भी था इस बात से शर्मिंदा !!
(9) अंत में हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया
और महाराणा ने रच दिया इतिहास बड़ा !
हल्दीघाटी की जमीन हुयी रक्तरंजित.....,
पर,महाराणा को बचा ले गया चेतक घोड़ा !!
(10) अमर हो गयी महाराणा की युद्ध गाथा
और चेतक ने रच दिया अप्रतिम इतिहास !
सम्राट अकबर रह गया खाली हाथ मलते.....,
और आए ना महाराणा प्रताप जिंदा कभी हाथ !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान