गीत - जसवीर सिंह हलधर

 

सत्य है मेरा सनातन विश्व का उस्ताद है ।

सभ्यता पर प्रश्न करना रोग है उन्माद है ।।

ब्रह्म की रचना हमारा ये सकल ब्रह्मांड है ।

जो नकारे सत्य को ज्ञानी नहीं वो भांड है ।।

सृष्टि संचालन समूचा तीन भागों में बटा,

सूर्य किरणों से पनपता भूमि पर कुष्मांड है ।।

जड़ जिसे हम मानते वो चेतना का मूल है ,

प्राण के शाश्वत गमन में ओम का ही नाद है ।

सत्य है मेरा सनातन विश्व का उस्ताद है ।।1

जानवर से आदमी होना सनातन धर्म है ।

सभ्यता के मापदंडों में विभूषित कर्म है ।।

कोख में इसके पड़ीं गाथा करोड़ों वर्ष की ,

जो नहीं यह मानता वो आदमी बे-शर्म है ।।

चार युग के काल खंडों में विभाजन दर्ज़ है ,

चार वेदों में निरूपित चेतना संवाद है ।

सत्य है मेरा सनातन विश्व का उस्ताद है ।।2

राशिफल पंचांग की गणना पुरातन सिद्ध है ।

चांद सूरज की दशा गति का विभाजन सिद्ध है ।।

हम पहाड़ों और नदियों को युगों से पूजते ,

भूमि से आकाश का रिश्ता सनातन सिद्ध है ।।

छंद के आयाम हमने ही सिखाए विश्व को ,

पाणिनी, पिंगल पताका आज भी आबाद है ।

सत्य है मेरा सनातन विश्व का उस्ताद है ।।3

अवतरण गंगा बताता झूठ कल्पित कथ्य जो ।

सिंधु मंथन की कहानी को बताता मिथ्य जो ।।

राम रावण युद्ध को कहता मिथक साहित्य है ,

मूर्खता के तर्क देता बेतुके से तथ्य जो ,

शब्द जिसके विष घुले हैं अर्थ में बारूद है ,

मानसिक बीमार है वो राक्षसी उत्पाद है ।

सत्य है मेरा सनातन विश्व का उस्ताद है ।।4

 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून