कृष्ण एक, भाव अनेक - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 

नटवर नागर नंद दुलारे, हृदय हमारे बसते हो।

अद्भुत अनुपम लीलाओं से, भक्तों का मन हरते हो।

बाल रूप में लीला करके, लीलाधारी कहलाये।

नष्ट किया सारे असुरों को, गोकुल में जो भी आये।

अत्याचारी कंस हनन कर, हरि बन हर दुख हरते हो।

वयःसंधि में बाल सखों सँग, सबके मन आह्लाद भरा।

बलदाऊ अरु मित्र सुदामा, में गुरुवर ने ज्ञान भरा।

कालिय रूप प्रदूषण से प्रभु, यमुना निर्मल करते हो।

 नटवर नागर नंद दुलारे.....१

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश