कविता - रेखा मित्तल
Feb 27, 2023, 23:40 IST
परिवार वह माला है अपनेपन की,
जिसमें सब मोती की तरह पिरोए रहते,
बिना साथ निभाए अस्तित्व नहीं,
पिता जैसा कोई व्यक्तित्व नहीं,
बंँधे हुए हैं सब नेह की डोर से,
टूट जाए तो बिखरे हर छोर से,
साथ हो जब अपने परिवार का,
सब मुश्किल हो जाए आसान,
जिंदगी बन जाए एक सुहाना गीत,
परिवार में जब हो अपने मन मीत,
घर बन जाए स्वर्ग, हो सपने साकार,
जब मिलकर चले अपना परिवार।
- रेखा मित्तल, सेक्टर-43 , चंडीगढ़