कविता - कविता बिष्ट
Updated: Jan 13, 2024, 22:37 IST
बहारों की तरह सजती हुई उपहार है कविता,
हवा के संग बहती सी नदी की धार है कविता।
खिली हो बालियाँ मधुमास बन आती निकुंजो में,
गुलाबों की तरह महके गले का हार है कविता।
कभी बेटी बनी चंचल मधुर झनकार है कविता,
कभी माँ के रगों में भावना की तार है कविता।
वतन के प्रेम में रंगी कभी इतिहास में खोई,
शहीदों पर पढा पैगाम का अभिसार है कविता।
मुहब्बत में कभी बहकी हुई उदगार है कविता,
मधुर लय ताल के संगीत का संसार है कविता।।
~कविता बिष्ट 'नेह', देहरादून, उत्तराखंड