कस्तूरी कुंडली बसे - सविता सिंह

 

आज खुद से खुद की मुलाकात करते हैं,

कुछ जरूरी संग कुछ खास बात करते हैं।

तलाशते हैं हम जो सदा खुशियां दूसरों में,

अपने मन में ही उसकी तहकीकात करते हैं।

उदासी क्यों रहे पल भर की भी जीवन में,

चलो न हंसी की आज से शुरुआत करते हैं।

देखे हैं लोगों ने कई- कई अमावसे,

आज की रात पूनम की रात करते हैं।

क्यों करना शिकायते हमें जमाने से,

हम ही आज कुछ करामत करते हैं।

- सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर