जीवन के गीत सुहाना बा - अनिरुद्ध कुमार

 

जीवन के गीत सुहाना बा, मनहर तानाबाना बा।

दीवाना इहवाँ सब केहू, लागे जग नजराना बा।

            जीवनके गीत सुहाना बा।।

पवन झकोरे मन बलखाये, का नवही पूराना बा।

इतराइल मन जोर लगाये, हरकोई मस्ताना बा।

              जीवनके गीत सुहाना बा।।

पगपग पर मनवा अकुलाये, का नवही, पूराना बा,

आशा के नव दीप जलाये, का नारी, मरदाना बा।

               जीवनके गीत सुहाना बा।।

धरती अंबर घेरल घेरा, बीचे आना जाना बा।

हँसते गाते पार लगालीं, सुखदुख के पैमाना बा।

                जीवनके गीत सुहाना बा।।

प्रेम दया के बंधन बांधल, माया मोह तराना बा।

सुखदुख जगके मानीं थाती, आपन या बेगाना बा

                 जीवनके गीत सुहाना बा।।

कठपुतली सम लागे जीवन, साँसें डोरी ताना बा।

जबले चहियें नाची गाईं, मालिक के मनमाना बा।

                 जीवनके गीत सुहाना बा।।

ई दुनिया लागेला मेला, लागल आनाजाना बा।

घर आपन लौटे के होई,चुग दाना उड़जाना बा।

                   जीवनके गीत सुहाना बा।।

-अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड