जनक नन्दिनी - निहारिका झा

 

जनक नन्दिनी वैदेही

शील धर्मिणी वैदेही

शिव धनुष की करती पूजा

भूमि सुता थी वैदेही।।

रचा स्वयंवर राज जनक   ने

कठिन परीक्षा रख दी थी

जो तोड़ेगा  शिव के धनुषको

उसे वरेगी वैदेही।

जनक नन्दिनी वैदेही।

जनक ......।।

बड़े बड़े दिग्गज भी हारे

डिगा न पाए शिव के धनुषको

ऐसे में वे श्याम सलोने

रघुकुल के थे  राज दुलारे

गुरु कृपा से  राम लला ने

पलक झपकते धनुष को तोड़ा

जनकपुरी आनँदमगन थी

राम वरेगी वैदेही।।

दो कुल की वो शान बनेगी

राज दुलारी वैदेही

राम संगिनी वैदेही

पति धर्म का पालन करने

वन वन भटकी वैदेही

जनक नन्दिनी वैदेही।।

राम संगिनी वैदेही।

 माह बैसाखा शुक्ल नवमी को

हुई अवतरित वैदेही

जनक नन्दिनी वैदेही।।

संयम तप की रही जो मूरत

अजर अमर वो वैदेही

राम  संगिनी .....।।

- निहारिका झा, खैरागढ, छतीसगढ़