कब तक निहारेंगे गांव मुंह शहर का - हरी राम यादव

 

महोदय गांव को गांव ही रहने दो,

धरती पर पेड़ों की छांव रहने दो।

गांवों में ही विकसित हों सुविधाएं,

रहें न शिक्षा, चिकित्सा की दुविधाएं।

गांवों में ही बनें हाट और बाजार,

जहां फिर से चले विनिमय व्यापार।

बनें गांवों में ही बैठक और चौपाल,

जहां सभी कह सकें अपना हाल।

गांवों की हों एकदम चमचमाती सड़कें,

हो वह व्यवस्था जिससे आग न भड़के।

लगें उद्योग धंधे सब, देश के गांवों में,

जिससे जाना न पड़े शहर की छावों में।

चल के जाए गांवों में व्यवस्था सरकारी,

दूर हो गांव से,  दूर जाने की बीमारी।

आखिर गांव ही शहर के बाप दादे हैं,

शहर में तो बस बसते सरकारी प्यादे है।

कब तक निहारेंगे गांव मुंह शहर का,

कब तक आस देखेंगे सरकारी डगर का।

गांवों का विकास हो शहर से ज्यादा भाई,

गांवों में भी बहाओ हरी ठंढी हवा पुरवाई।।

- हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश , फोन नंबर – 708781507