हिंदी गजल - मधु शुक्ला
Mar 16, 2024, 23:05 IST
स्वप्न उनके जब हमारी आँख में पलने लगे,
हो गई हैरान सपने नींद को खलने लगे।
नींद ने टोका नयन को त्याग दो आवारगी,
अनसुनी कर नींद की वे प्रेम पथ चलने लगे।
नाम लेकर के जमाने का डराया नींद ने,
दृग अतिथि सत्कार कहकर सीख को छलने लगे।
साथ ख्वाबों का मिला तो भूल बैठे नींद को,
हर घड़ी वे स्वप्न के ही रंग में ढलने लगे।
ख्वाब जब मनमीत के दस्तक दिए मन द्वार पर,
कामना के दीप नव उत्साह से जलने लगे।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश