ग़ज़ल - सम्पदा ठाकुर
Jun 29, 2024, 22:59 IST
दोस्ती कुछ ऐसा यार कर बैठे ,
दिल अपना उस पर हार कर बैठे।
तन्हाई में भी थी खुशहाल मैं,
खामखा दिल बीमार कर बैठे ।
बात बिगड़ जाएगी मालूम नही ,
दिल थाम कर एतबार कर बैठे ।
जूँम्बिश हुआ जब इश्क का,
जो मेरा ही शिकार कर बैठे।
अपनी जहां को भूलाकर मैं,
तुमसे प्यार का इजहार कर बैठे।
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अगर दूर हो नजरों से तो क्या?
हम तो ख्वाब में दीदार कर बैठे।
इक एहसास को लिखती संपदा,
तेरे लिए तो ही ये श्रृंगार कर बैठे।
- सम्पदा ठाकुर, जमशेदपुर