ग़ज़ल - रूबी गुप्ता

 

फूल के साथ खार होता हैं,

कुछ अलग इनमें  प्यार  होता है।

इश्क़ लगने लगें इबादत जब,

प्यार भी बेशुमार होता है।

नींद हासिल हुई जो आँखो को,

ख़्वाब में इन्तजार होता  हैं।

बन गया रूह का जो शहजादा,

वो कहाँ दरकिनार होता है।

लोग रखते है जिस्म से ताल्लुक,

कौन दिल पे निसार होता है।

नाम जब भी लबों पे आ जाये,

दिल बड़ा बेकरार होता है।

दो घड़ी की न बात हैं  'रूबी',

होते होते ये प्यार होता है।

- रूबी सतेन्द्र गुप्ता,कुशीनगर, उत्तर प्रदेश ।