गजल - ऋतु  गुलाटी

 

दर्द मेरा अजी देखता कौन है,

सोच लो यार अब तुम खरा कौन है।

आ गयी ठंड  देखो जरा यार तुम,

शाल ओढे  हुऐ भीगता कौन है।

रात भर सोचता दिल तुम्हारे लिये,

यार की आँख में झाँकता कौन है।

तुम बने यार मेरे सदा के लिये,

अब न कहना मेरा हमनवां कौन है।

 अब जरूरत हमें यार तेरी हुई,

इश्क आँखो में ले डूबता कौन है।

हम सहे क्यो तुम्हारी हुई बेरूखी,

फिर कहोगे अरे रूठता कौन है।

संग बैठे सजन प्यार की कश्ती मे,

यूँ नजर फेर*ऋतु कूदता कौन है।

- ऋतु  गुलाटी  ऋतंभरा, चण्डीगढ़