ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Aug 31, 2024, 22:52 IST
उदासी मे डूबो को राहत दिला दो,
गरीबो को हरदम सभी आसरा दो।
कदर अब कहा़ं है मुहब्बत की जग मे.
रहो बस खुशी से गमो को भुला दो।
बने आज कैदी मुहब्बत मे तेरी.
हुई आज उल्फत तुम्ही कुछ सिला दो।
बड़ी खूबसूरत मिली जिन्दगी है,
मुझे भी जरा सी मुहब्बत सिखा दो।
कमी न रखो तुम खुशी बांटने मे.
करो तुम इबादत सभी को दुआ दो।
सजी आज महफिल तुम्हारे लिये है.
गजल आज कोई तुम्ही गुनगुना दो।
खिली ताजगी है लबो पर तुम्हारे,
लगे खूबसूरत नजाकत दिखा दो।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़