ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Aug 11, 2024, 23:30 IST
इश्क मे मन आज बहका देखना,
बेवजह दिल का सताना देखना।
यार हमको अब सताना छोड़ दे,
क्या गुनां हम से हुआ था देखना।
खूबसूरत बह रहे झरने यहाँ,
मेरी नजरो से नजारा देखना।
चांदनी को चांद से मिलना अगर,
राह मे आया सितारा देखना ।
इश्क़ में हमको सताया है बड़ा,
दूर रहकर हाल सारा देखना।
अब कहाँ पूरी हुई है ख्वाहिशें,
दर्द मे चाहे हंसता देखना।
ब्याह करने के लिये हैं बेटियां,
आज भी दूल्हा है बिकता देखना।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़