ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Jul 6, 2024, 23:18 IST
तू डूबा दर्द मे कितना वो मंजर याद आता है,
उदासी और आँसू का स्वंयवर याद आता है।
चला था छोड़ कर हमको दुखाया दिल बड़ा तूने,
लगे जैसे चुभा हमको वो खंजर याद आता है।
दुआओं मे तुम्हे पूजा बिठाया आज सर अपने,
चले तुम अब कहाँ यारा, वो मंजर याद आता है।
बिछी थी रेत चारो ओर,पानी भी लगे गहरा,
मिले तुमसे वही हम तुम समन्दर याद आता है।
छुपे थे यार बाँहों मे कभी अकसर अकेले मे,
गुजारे संग अब तेरे वो खंडडर याद आता है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़