ग़ज़ल - रीता गुलाटी

 

यार से अब दिल लगाना हो गया,

दर्द का फिर दिल से जाना हो गया।

साथ तेरा जब मिला हमको सजन,

यार मौसम  आशिकाना हो गया।

चाह मे तेरे सनम पागल बना,

प्यार मे तेरे दिवाना हो गया।

तंग दिल समझा जिसे तुमने बड़ा,

आज काबिल वो बताना हो गया।

घर से निकला राह पाने के लिये,

लग रहा है वो सयाना हो गया।

- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़