ग़ज़ल - रीता गुलाटी
May 15, 2024, 22:54 IST
प्रीत अपनी तुम्हें दिखाने चला हूँ,
गीत गजले नगमे सुनाने चला हूँ।
बना ली है दिल मे तूने जगह अपनी,
इस सूने दिल मे तुम्हें बसाने चला हूँ।
ओ मेरे यार तुम्ही पर ही आकर रूकी,
जिंदगी अपनी बस लुटाने चला .हूँ।
हो कैसे भी हालात तेरे न भूलना,
बातें तेरी कभी न लटकाने चला हूँ।
रहूँ तेरी पनाह मे मैं सदा मेरे यार,
संग तेरे किस्मत आजमाने चला हूँ।
बड़ी बेबसी व दर्द मे जी रहा हूँ,
पाकर प्रेम अब राहत पाने चला हूँ।
ये सच है मेरे प्यार तेरे संग है जीना,
कुछ सोच जिंदगी बसाने चला हूँ।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़