ग़ज़ल - रीता गुलाटी
Updated: Apr 27, 2024, 23:39 IST

शमा भी आज परवाने का दिल कितना जलाती है,
मुझे ये जिंदगी भी अब अरे कितना जलाती है।
कहो क्यो दूर हो मुझसे,सताते हो मुझे अकसर,
तेरी यादें हैं जो अकसर मेरी नींदे उड़ाती है।
खुदा खुशियाँ नवाजे अब मिले चाहत दुआ करते,
रहे ना दर्द अब दिल मे,दुआ मुश्किल हटाती है।
कभी वो प्यार से हमको बड़ा नखरा है दिखलाती,
मुहब्बत की नजर अकसर हमें भी आजमाती है।
दिखे हमको ख्यालो मे सताता ये बड़ा हमको,
तुम्हारे बिन रहे कैसे हमें रूह भी डराती है।
- रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़